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इंदौर की महिलाएं स्वच्छ पेय जल सुनिश्चित करते हुए जल जीवन मिशन को बढ़ावा दे रही हैं
चूंकि मध्य प्रदेश सुरक्षित पेय जल प्राप्त करने के लिए संघर्षरत है, यहां की महिलाएं जल जीवन मिशन के तहत प्रभावी जल प्रबंधन और वॉश (WASH) प्रेक्टिस के लिए परिवर्तनकारी एजेंट के रूप में कार्य कर रही हैं।
जल जीवन मिशन का प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित करते हुए, वाटरएड इंडिया सुरक्षित पेय जल तक पहुंच सुनिश्चित करके महिलाओं को अपने संबंधित समुदायों के लिए काम करने हेतु सशक्त् कर रहा है। परियोजना टीम के साथ मिलकर, ये महिलाएं ग्रामीण समुदायों के साथ काम करती हैं ताकि वे पाइप जलापूर्ति स्कीपमों के लिए योजना, संचालन, प्रबंधन, अनुरक्षण और रखरखाव कर सकें। महिला + जल गठबंधन टीम 2019 से तकनीकी सहायता भागीदार के रूप में सरकार का समर्थन कर रही है और जल जीवन मिशन का प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित कर रही है।
अपने समुदाय के लोगों के समक्ष आने वाली चुनौतियों की ओर इशारा करते हुए, मानकुंड गांव, देवास की एक आशा कार्यकर्ता सुनीता रायकवाल कहती हैं, “गांव की महिलाओं को घरेलू ज़रूरतों को पूरा करने के लिए स्थानीय कुओं और हैंडपंपों से पानी लाने के लिए रोज़ाना दिन में कई बार कई किलोमीटर पैदल चलना पड़ता था। जितना बड़ा परिवार, उतना ही अधिक पानी लाने के लिए आना-जाना और पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करना ही एकमात्र प्राथमिकता थी।”
एक बदलाव लाने के लिए, सुनीता ने स्वेच्छा से पानी की गुणवत्ता की जांच के लिए प्रशिक्षण प्राप्त करना चाहा और जल्द ही वह अपने गांव में पानी की गुणवत्ता के महत्व के बारे में जागरूकता पैदा करने के प्रयासों का नेतृत्व कर रही थी। वह घरों में जाएंगी और समुदाय की महिलाओं तथा किशोरियों को पानी की गुणवत्ता के परीक्षण कार्य को सीखने के लिए प्रोत्साहित करेंगी और सप्ताहांत में अपने व्यस्त कार्यक्रम से समय निकालकर अपनी साथी महिलाओं को फील्ड-टेस्टिंग किट (एफटीके) के उपयोग के बारे में प्रशिक्षित करेंगी। वह परीक्षण किए गए सभी स्रोतों के विवरण के साथ गांव स्तर पर एक रजिस्टर रखती हैं और पंचायत के सहयोग से साल में दो बार अपने गांव में सभी पेयजल स्रोतों के अनिवार्य जल गुणवत्ता परीक्षण के लिए एक नियमित व्यअवस्थाभ की गई है।
अपने पिछले अनुभव को याद करते हुए, नयापुरा गाँव, देवास की बबीता लिलोरिया नाम की एक अन्य स्वयंसेविका कहती हैं, “पहले डॉक्टर के पास कई बार जाते थे क्योंकि मेरे परिवार के सदस्य पेचिश, दस्त आदि से पीड़ित हो जाते थे। जब से मैंने यह सीखा है कि पानी का परीक्षण कैसे किया जाता है, पानी के स्रोत को साफ रखने और उपभोग से पहले पानी को उबालने के सुरक्षित व्यतवहार को अपनाया है, डॉक्टर के पास जाने की ज़रूरत में काफी कमी आई है। जब तक मेरे परिवार में कोई और बीमारी न हो, हम डॉक्टर के पास बिल्कुल नहीं जाते।”
आज, बबीता डेटा संग्रह में सक्रिय रूप से शामिल है और जल सुरक्षा योजना तैयार करने के लिए घरेलू सर्वेक्षण कर रही है। उसने अपने गांव में हर घर द्वारा बर्बाद किए गए औसत पानी की गणना करना भी सीखा और घरेलू स्तर पर जल संरक्षण की वकालत करना शुरू कर दिया।
ज़मीनी स्तर पर एक क्रांति लाने के लिए, वाटरएड इंडिया ने 2022 में सर्वश्रेष्ठ जल एनजीओ: जल शिक्षा श्रेणी के तहत मध्य प्रदेश के सीहोर जिले के मोकलगाँव, खंडवा और धाबोटी सहित 3 गाँवों में अपने प्रयासों के लिए एक पुरस्कार जीता। वाटरएड इंडिया टीम ने समुदायों को कम से कम बाह्य सहयोग के साथ अपने गांव की पाइप जलापूर्ति योजनाओं का प्रभावी ढंग से प्रबंधन करने में सक्षम बनाने के लिए शिक्षित किया।